हिन्दी दिवस पर समर्पित
अपनी धरोहर हिंदी,को न मिटने दे हिंदुस्तान ,
चाहे फिर क्यूँ न हो, फिर कैसा भी इम्तहान ।
सदा मिला हिंदी को, प्रेम और सम्मान ,
देता है जो एक माँ को, हर बच्चा हर इंसान ।
मेरी तो है मातृभाषा, हर कण में है समाई,
मुझ पर है ज़िम्मेदारी, ना करूँ कभी पराई!
यह एक अनोखी भाषा, सर्वश्रेष्ठ है जगत में ,
है सीखमे में आसान, सब बोलते संगत में ।
हिंदी है विश्वव्यापी, ऐसा है सबका कहना,
अपने लिए तो हिंदी, है राष्ट्र का ये गहना ।
ये मातृभाषा मेरी, ये राष्ट्रभाषा मेरी ,
ये हो ना जाए दूषित, ये प्रबल आशा मेरी।
ऊँची है हिमालय सी, सागर से भी है गहरी।
वायु सी गति इसकी, है संस्कृति की प्रहरी ।
आभूषणों से सज्जित, माँ भारती की बिंदी,
प्राचीनता का गौरव, भारत का मान हिंदी।